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रक्षाबंधन पर निबंध | ESSAY ON RAKSHABANDHAN IN HINDI
रक्षाबंधन का परिचय
रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक अपने आप में पावन और महान त्योहार है। रक्षाबंधन का अर्थ अपने नाम के अनुसार ही है, मतलब वह बंधन जो रक्षा करता हो। रक्षाबंधन का महत्व ना सिर्फ पारिवारिक है, बल्कि सामाजिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक और प्राकृतिक भी है।
रक्षाबंधन विशेष तौर पर भाई बहन का एक पवित्र त्योहार है। मगर जैसा कि नाम से प्रतीत हो रहा है रक्षा करने वाला बंधन तो हम प्रकृति में मौजूद वह समस्त वस्तु जिससे हमारे जीवन की रक्षा होती है। जैसे पेड़, पौधे, पर्वत इत्यादि। यहां तक कि भगवान को भी हम रक्षाबंधन अर्पण करते हैं। रक्षाबंधन अपने आप में प्राकृतिक शांति का बोध कराता है। रक्षाबंधन भाई और बहन की पवित्र प्रेम और आपसी समझ को दर्शाता है।
रक्षाबंधन का सामाजिक महत्व
रक्षाबंधन का सामाजिक महत्व बहुत ही महान है। रक्षाबंधन मूलतः हिंदू धर्म का एक त्योहार है। जिसे श्रावण के पवित्र महीने के अंतिम श्रावण पूर्णिमा के दिन हर एक साल बड़े ही सादगी और प्यार से मनाया जाता है। इस त्योहार को बिना किसी शोर-शराबा और तामझाम के शांतिपूर्ण माहौल में मनाया जाता है।
इस दिन बहन प्रातः उठकर स्नान पूजा-पाठ करती है। इस दिन बहन और भाई दोनों साफ-सुथरे और अच्छे कपड़े पहनते हैं। रक्षाबंधन को राखी भी कहते हैं। राखी एक धागा होता है जो लाल और पीली रेशम तथा कच्चे सूत की बनी होती है। यह सुंदर और आकर्षक होती है।
बहन अपने भाई के माथे पर तिलक लगाकर तथा चावल की अछत डालकर दाहिने कलाई पर राखी बांधती है और फिर उसकी आरती उतारती है। आरती उतारने के बाद बहन भाई को मिठाई खिलाती है और भाई भी अपनी बहन को मिठाई खिलाता है तथा भिन्न-भिन्न प्रकार के उपहार देता है।
इस दिन बहन अपने भाई के लिए मंगल कामना करती है और भाई भी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। यह त्योहार भाई और बहन का एक दूसरे के प्रति विश्वास, प्यार, स्नेह और एकता को दर्शाता है।रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का चलन बहुत ही पुराना है।
हिंदू धर्म के अनुसार राखी बांधने के बाद ही बहन भोजन ग्रहण करती है। इस दिन ना केवल अपने भाई को बल्कि मुंह बोले भाइयों को तथा पेड़ पौधों को भी राखी बांधते हैं।
हिंदू धर्म के अलावा रक्षाबंधन जैन धर्म में भी बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार भारत के साथ-साथ नेपाल, मॉरीशस में भी मनाया जाता है।
रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व
रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व भी कुछ कम नहीं है। इसके अनुसार देवों और दानवों में अक्सर युद्ध की स्थिति बनी रहती थी।एक बार देवराज इंद्र दानवों से युद्ध में पराजित हो गए थे। तब इंद्राणी रेशम के धागे में विजयी मंत्र पढ़कर इंद्र के कलाई पर बांध दी थी और इसके फलस्वरूप इंद्र ने दानवों पर विजय प्राप्त कर ली थी। तब इंद्र को अपने विजयी होने का श्रेय उस रेशम के धागे को माना था। अतः इससे पता चलता है कि रक्षाबंधन का संबंध देवी और देवताओं से भी है।
रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व
रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व भी है। द्वापर युग में जब श्रीकृष्ण की उंगली में चोट लग गई थी। तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक कोना चीर कर श्री कृष्ण के उंगली में बांध दी थी। तब श्री कृष्ण ने द्रौपदी को यह वचन दिया था कि जब कभी भी उन्हें जरूरत पड़े तो श्रीकृष्ण उनकी मदद और रक्षा करने के लिए उनके पास आ जाएंगे।
रक्षाबंधन का एक दूसरा ऐतिहासिक महत्व इस से भी मिलता है कि जब मेवाड़ की रानी कर्मावती को यह ज्ञात हुआ कि बहादुर शाह उसके राज्य पर हमला करने वाला है और वह इस युद्ध में हार जाएगी तब रानी ने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेज कर उनको अपना भाई माना और रानी कर्मावती अपनी और अपने राज्य की रक्षा करने को कही। हुमायूँ मुस्लिम धर्म के होने के बावजूद उन्होंने राखी की लाज रखी और कर्मावती को बहन मानकर उसके राज्य को पराजित होने से बचा लिया।
विश्व विजेता सिकंदर की पत्नी रेक्सोना ने भी राखी का महत्व समझ कर उसने अपने पति के दुश्मन पोरस (पुरूवास) को युद्ध में राखी बांधकर अपने पति को न मारने को कहा। पोरस (पुरूवास) ने भी अपने वचन की रक्षा के लिए सिकंदर को ना मारने का प्रण लिया था।
रक्षाबंधन का राजनैतिक महत्व भी है कि राजनेता अपनी आपसी कटुता मिटाने के लिए एक दूसरे को राखी बांधते हैं।
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आया है राखी का पवित्र त्योहार,बांधा है भाई की कलाई पर अपना प्यार।खुश रहना मेरे भाई अपरंपार,मिलते रहना तुम हर साल बारंबार।
रक्षाबंधन का रिश्ता तब से है जब हम बोलना भी ना सीखे थे,अच्छा है यह बंधन जो तोड़े से ना टूटे थे।आते हैं कड़वाहट जिस रिश्ते में,हम बांध लेते हैं उस रिश्ते को रक्षाबंधन से।
जिसके सर पर भाई का हाथ होता है,हर परेशानी में उसके साथ होता है,लड़ना झगड़ना फिर प्यार से मनाना,तभी तो इस रिश्ते में इतना प्यार होता है।

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