Essay On Mother In Hindi | माँ पर निबंध

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1998

Essay On Mother In Hindi: माँ शब्द अपने आप में एक परिपूर्ण शब्द है। माँ जगत का सृजन करती है, हमें जन्म देती है। माँ शब्द बोलने से ही मनुष्य हो या जगत का कोई भी प्राणी सभी को एक आंतरिक शांति मिलती है। माँ अपने बच्चे का कोई भी दुख हो या खुशी अपने अंदर समाहित कर एक नई ऊर्जा का संचार कर देती है।

माँ के परिचय में जितना भी लिखा जाए, वह कम ही होगा। माँ बच्चे के जीवन का आधार होती है। माँ के बिना बच्चे का जीवन ठीक वैसे ही होता है, जैसे पेड़ की डाली से टूटी हुई सुखी पत्ति। जिसे हवा जिधर ले जाती है, उधर ही उड़ पड़ता है। माँ के बिना जीवन निराधार, अंधकार में हो जाता है।

माँ भगवान की सबसे सुंदर कृति है। दुनिया के हर एक बच्चे के लिए उसकी माँ एक सुंदर और प्यारी महिला होती है। माँ शिक्षित हो या अशिक्षित वह अपने बच्चे को सदा अच्छे और सही रास्ते पर चलने की शिक्षा देती है। वह हमें अच्छे कार्य करने पर जहां प्यार और शाबाशी देती है। वही गलत कार्य करने पर डांट भी लगाती है। वह हमेशा हमें सही और गलत में अंतर करना सिखाती है। जिसको हम अपने जीवन में अपनाकर जीवन के मार्ग को सरल और शांति दायक बनाते हैं। जो इंसान माँ के द्वारा दी गई शिक्षा और बातों को अपने जीवन में शामिल करता है। उसे उसका लक्ष्य का रास्ता आसान हो जाता है।

माँ अपने बच्चे की प्रथम शिक्षिका और दोस्त होती है। वह अपने बच्चे को चलने, खाने-पीने, खुद का ध्यान रखने से लेकर सामाजिक और नैतिक ज्ञान देती है। वह अपने बच्चे के साथ, बच्चा बनकर एक दोस्त की तरह खेलती है। माँ अपने बच्चे की हर मुश्किल को बड़े ही आसानी से पढ़ लेती है, और उसकी परेशानी को दूर करने की यथासंभव प्रयास करती है।

Essay On Mother In Hindi
माँ पर निबंध Essay On Mother In Hindi

माँ पर निबंध | Essay On Mother In Hindi

एक माँ के लिए उसका बच्चा भगवान का दिया हुआ सबसे अनमोल उपहार होता है। दुनिया की हर वस्तु उसके बच्चे के आगे फीकी होती है। अपने बच्चे को देखकर माँ का चेहरा चमक उठता है ठीक यही स्थिति बच्चे की भी होती है। बच्चा भी अगर अपनी माँ को ना देखे तो उसे चैन नहीं मिलता है। बच्चा अपनी हर परेशानी और दुख अपने माँ को बताता है। उसे लगता है कि इस संसार में माँ ही है जो उसकी बात को समझ सकती है।

माँ अपने बच्चे से कभी भी नाराज नहीं होती है। नाराजगी भी हो तो माँ शब्द सुनते ही उनकी सारी नाराजगी दूर हो जाती है। माँ प्रेम, ममता और दया की अथाह सागर होती है। जो हम पर सर्वदा लुटाती रहती है पर कभी समाप्त नहीं होती है।

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बच्चे अपने कर्तव्य से भले ही भटक जाए पर माँ अपने कर्तव्य से कभी नहीं भटकती। वह अपने बच्चे को हर आराम और खुशियां देती है जो उनके वश में हो और दिन रात कठिन परिश्रम करती है। बच्चे के खाने पीने से लेकर जिंदगी की हर जरूरत को पूरा करने की यथा संभव प्रयत्न करती रहती है। इस जगत का जो भी मनुष्य अपनी माँ की इज्जत करता है और उनका ध्यान रखता है।

उस पर उसकी माँ और भगवान दोनों का आशीर्वाद सदा बनी रहती है। हमें अपनी माँ का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। उनसे प्रेम करनी चाहिए। उनसे कभी भी खराब व्यवहार नहीं करनी चाहिए। हमें अपनी माँ से हमेशा अपने अच्छे कर्मों से उनसे आशीर्वाद लेने चाहिए। एक अच्छा इंसान बनना चाहिए। जिससे उनका सिर इस संसार में हमेशा इज्जत के साथ उठी रहे।

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