कवि और धनवान आदमी | Kavi Aur Dhanwan Aadmi – Akbar Birbal Ki Kahani

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Kavi Aur Dhanwan Aadmi – कवि और धनवान आदमी: एक दिन की बात है। एक बहुत ही गुणवान कवि अपनी कविता के माध्यम से कुछ धनअर्जित करना चाहता था। यह विचार कर वह एक धनवान व्यक्ति के घर गया और उसे अपनी सुंदर – सुंदर कविता सुनाई। कवि सोचा कि धनी व्यक्ति उसकी सुंदर कविताएँ सुनकर प्रसन्न होगा और उसे इनाम के रूप में धन देगा। परंतु वह धनी व्यक्ति उसे कोई इनाम नहीं दिया। बल्कि वह बोला- तुमने मुझे अपने कविताएँ सुनाकर मुझे प्रसन्न कर दिया है। तुम कल जरूर आना। मैं भी तुम्हें प्रसन्न करना चाहता हूँ।

कवि और धनवान आदमी - अकबर बीरबल की कहानी
Kavi Aur Dhanwan Aadmi – Akbar Birbal Ki Kahani

कवि और धनवान आदमी – Kavi Aur Dhanwan Aadmi

कवि मन में यह विचार करता हुआ वहाँ से निकल गया। कि हो सकता है, वह धनी व्यक्ति कल फिर से मेरी कविताएँ सुनेंगे और कोई अच्छा इनाम मुझे देंगे। अगले दिन वह फिर से उस धनी आदमी के घर गया, अपनी कविताएँ सुनाने। धनी व्यक्ति कवि से बोला कवि महोदय, जिस प्रकार तुमने अपनी कविताएँ सुनाकर मुझे प्रसन्न किया है। वैसे ही मैंने आपको दुबारा बुला कर आपको इज्जत दिया और प्रसन्न कर दिया है। मगर वह उसे कोई इनाम राशि नहीं दिया।

धनवान व्यक्ति की बात सुनकर कवि बहुत ही उदास हो गया। कवि अपनी मन की व्यथा एक मित्र को बताया। उस मित्र की जान पहचान बीरबल से थी। वह अपने कवि मित्र की इस बारे में सहायता करने के लिए सारी बात बीरबल को बता दिया। हिंदी कहानी – नदी और पहाड़

मित्र की सारी बात सुनकर बीरबल बोला- मैं एक योजना बताता हूँ। उस पर तुम अमल करना। तुम उस धनी व्यक्ति से मित्रता कर लो। उसके फलस्वरूप कुछ दिन बाद उसे अपने घर खाने पर आमंत्रित करो। वहाँ पर तुम अपने कवि मित्र को भी आमंत्रित करना। वहाँ पर मैं भी उपस्थित रहूँगा। अँगूठी चोर : तेनालीराम की कहानी

Kavi Aur Dhanwan Aadmi: कुछ दिनों बाद उस मित्र ने बीरबल के कहे अनुसार अपने यहाँ भोजन का आयोजन किया। उस आयोजन में सभी आमंत्रित लोग शामिल हो गए। वहाँ पर वह धनवान व्यक्ति भी सही समय पर पहुंच गया। सभी आमंत्रित व्यक्ति आपस में बातें करने में व्यस्त हो गए। समय बीतता जा रहा था। परंतु वह धनी व्यक्ति खाने का इंतजार कर रहा था कि कब उसे खाना मिले। धीरे-धीरे उस धनी व्यक्ति का सब्र टूटता जा रहा था ।वह अंदर ही अंदर खीझ रहा था। अंत में वह अपने मेजबान मित्र को बोल ही दिया कि खाने का समय तो पहले ही बीत गया। हमें यहाँ भोजन पर ही बुलाया गया है न?

इस पर वहाँ मौजूद बीरबल ने तुरंत बोला भोजन पर, किस प्रकार का भोजन। ऐसा सुनते ही उस धनवान व्यक्ति को गुस्सा आ गया। वह बोला यहाँ पर तो मुझे भोजन पर आमंत्रित किया गया है। यहाँ तो भोजन का नामोनिशान नहीं है। हिंदी कहानी – तालाब की परी

Kavi Aur Dhanwan Aadmi: इस पर बीरबल ने बोला यहाँ पर आप को प्रसन्न करने के लिए भोजन पर आने को कहा गया था। यहाँ पर आप को बुलाकर इज्जत दी गई है। इतना सुनते ही वह धनी व्यक्ति आग बबूला हो गया। बोला कैसी इज्जत आपने मुझे बुलाकर कोई इज्जत नहीं किया।

धनी व्यक्ति को क्रोधित होता देखकर बीरबल हँस पड़ा और बड़े हैं विनम्र होकर कहा – आपने भी (वहाँ पर उपस्थित कवि की ओर इशारा करते हुए) उस कवि की ऐसी ही इज्जत दी थी। तो इसमें क्रोधित होने वाली कोई बात नहीं। धनी व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास हो गया, और उसने कवि को उसका हक, उसको इनाम के रूप में धन दिया और वह वहाँ से प्रस्थान कर गया।

वहाँ पर उपस्थित सभी व्यक्ति विशेषकर कवि ने बीरबल को धन्यवाद दिया और उनकी चातुर्य की प्रशंसा की।  हिंदी कहानी – मनुष्य का सांसारिक भ्रम

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