तीन रुपये तीन चीज – अकबर बीरबल की कहानी | Teen Rupaye Teen Chij

Teen Rupaye Teen Chij तीन रुपये तीन चीज - अकबर बीरबल की कहानी: बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे थे कि तभी उनकी नजर एक मंत्री पर पड़ी। वह मंत्री बहुत उदास लग रहा था। अकबर ने उसकी उदासी का कारण पूछा।

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बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे थे कि तभी उनकी नजर एक मंत्री पर पड़ी। वह मंत्री बहुत उदास लग रहा था। अकबर ने उसकी उदासी का कारण पूछा। तब मंत्री बोला- आप सारे महत्वपूर्ण कार्य बीरबल को सौंप देते हैं, जिससे उसकी महत्ता बढ़ जाती है। इस वजह से हम अपनी प्रतिभा को आपके सामने ला नहीं पाते हैं।

तीन रुपये तीन चीज - अकबर बीरबल की कहानी
तीन रुपये तीन चीज – अकबर बीरबल की कहानी

तीन रुपये तीन चीज – अकबर बीरबल की कहानी | Teen Rupaye Teen Chij

मंत्री की यह बात सुनकर अकबर ने उस मंत्री को तीन रुपए दिए और कहा कि आप बाजार जाकर इन तीन रुपयों को तीन चीजों पर समान रूप से खर्च करें। यानी कि हर एक चीज पर एक रुपए खर्च करनी है।

लेकिन उसके साथ शर्त यह है कि पहली चीज यहां की होनी चाहिए। दूसरी चीज वहां की यानी जन्नत की होनी चाहिए। तीसरी चीज न यहां की होनी चाहिए और न वहां की होनी चाहिए। मंत्री, अकबर से तीन रुपये लेकर बाजार निकल पड़ा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करे। वह एक दुकान से दूसरे दुकान का चक्कर लगाने लगा।

लेकिन उसे ऐसा कोई नहीं मिला जो इस शर्त के मुताबिक एक रुपया वाली तीन चीज दे सके। वह थक हार कर वापस दरबार में अकबर के पास लौट आया। कार्य पूरा न कर पाने के कारण वह महाराज से इसके लिए क्षमा भी मांगी।

अब बादशाह अकबर ने यही कार्य बीरबल को सौंप दिया। बीरबल कुछ देर बाद महाराज के दिए हुए कार्य को पूरा कर तीन चीज लेकर लौट आए। अब बीरबल ने वे तीन चीज किस प्रकार खरीदें उसके बारे में वह बताना शुरू किया।

पहले एक रुपया मैंने मिठाई पर खर्च कर दिए जो इस दुनिया की चीज है। दूसरा रुपया मैंने एक जरूरतमंद गरीब को दान में दे दिया जिससे मुझे पुण्य मिला, जो वहां यानी जन्नत की चीज है।

तीसरा रुपया से मैं जुआ में दाव लगा दिया और उस जुए में मैं हार गया। इस तरह से जुए में दांव लगाया हुआ रुपया वह तीसरी चीज है जो ना यहां मेरे काम आई और ना वहां। जो जन्नत में भी मेरे नसीब नहीं आएगी।

बीरबल की चतुराई पूर्ण बातें सुनकर राजा के साथ-साथ वह मंत्री भी खुश और संतुष्ट हो गया। मंत्री की यह बात समझ में आ गई कि क्यों महाराज सारे महत्वपूर्ण कार्य बीरबल को देते हैं।

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