कुएँ का पानी – अकबर बीरबल की कहानी | Kuen Ka Pani

कुएँ का पानी - अकबर बीरबल की कहानी (Kuen Ka Pani): यह कहानी बादशाह अकबर के राज्य में एक किसान की है। किसान के खेतों के नजदीक में पानी का कोई भी स्रोत नहीं था। इस वजह से किसान अक्सर परेशान हो जाता था। किसान को अपने खेतों को सींचने के लिए काफी दूर से पानी का इंतजाम करना पड़ता था। वह चाहता था कि उसके खेतों के आस-पास ही पानी का प्रबंध हो जाए।

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2004

कुएँ का पानी – अकबर बीरबल की कहानी (Kuen Ka Pani): यह कहानी बादशाह अकबर के राज्य में एक किसान की है। किसान के खेतों के नजदीक में पानी का कोई भी स्रोत नहीं था। इस वजह से किसान अक्सर परेशान हो जाता था। किसान को अपने खेतों को सींचने के लिए काफी दूर से पानी का इंतजाम करना पड़ता था। वह चाहता था कि उसके खेतों के आस-पास ही पानी का प्रबंध हो जाए।

ऐसा सोचकर व कई दिनों से अपनी जमीन के आस-पास ही कुएँ की तलाश कर रहा था। वह तलाश कर ही रहा था कि उसकी नजर एक कुएँ पर पड़ी। वह कुआँ उसके खेतों के पास ही था। कुएँ को देखकर किसान प्रसन्न हो गया। वह सोचने लगा कि अब उसकी परेशानी खत्म हो जाएगी। यह सोचते हुए वह खुशी से घर चला गया।

कुएँ का पानी - अकबर बीरबल की कहानी Kuen Ka Pani
Kuen Ka Pani (कुएँ का पानी – अकबर बीरबल की कहानी)

कुएँ का पानी – अकबर बीरबल की कहानी | Kuen Ka Pani

अगले दिन वह पानी लेने कुएँ पर पहुंचा। उसने कुएँ के पास रखी बाल्टी कुएँ में डाला। तभी वहां कुएँ का मालिका आ गया। वह आदमी किसान से बोला यह कुआँ मेरा है। तुम इसमें से पानी नहीं ले सकते। अगर तुम इस कुएँ का पानी लेना चाहते हो, तो तुम्हें इसे खरीदना होगा।

उस आदमी की बात सुनकर किसान मन-ही-मन विचार-विमर्श करने लगा। अगर मैं इस कुएँ को खरीद लूं तो मुझे पाने के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। ऐसा सोचकर वह कुएँ के मालिक से कुआँ खरीदने की बात कहा। दोनों के बीच एक उचित कीमत तय हो गई। किसान के लिए कुएँ का पानी बहुत ही मूल्यवान था। वह कुएँ को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। इसलिए किसान ने उस आदमी को अगले दिन तय कीमत देने की बात कह कर वहां से घर चला गया।

किसान हर हाल में उस कुएँ को खरीदना चाहता था। इसलिए वह अपने दोस्तों रिश्तेदारों से इस बारे में बात कही। ताकि उसे कुछ आर्थिक सहायता प्राप्त हो सके। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और वह तय की हुई कीमत का इंतजाम करने में कामयाब हो गया। किसान बहुत ही खुशी से जमा की हुई रकम को घर में सुरक्षित रख दिया।

कुआँ खरीदने की बात सोचकर वह इतना खुश था कि रात भर वह चैन से सो नहीं पाया। वह सोच रहा था कि कब सुबह हो और वह कुआँ खरीदने जा सके। सुबह होते ही वह कुआँ खरीदने निकल पड़ा। किसान उस आदमी के घर पहुंचकर तय की हुई कीमत उसको दे दी। कीमत चुकाने के बाद किसान कुएँ से पानी निकालने लगा। तभी उस आदमी ने उसे कुएँ से पानी निकालने से सख्त मना कर दिया। वह बोला- मैंने तुम्हें कुआँ बेचा है, कुएँ का पानी नहीं बेचा है। वह अभी भी मेरा है। तुम्हें पानी चाहिए तो उसकी भी कीमत चुकानी होगी। आदमी की बात सुनकर किसान दुःखी हो गया।

किसान चिंतित होते हुए बादशाह अकबर के दरबार में अपनी समस्या लेकर गया। बादशाह अकबर ने किसान की बात बहुत ही ध्यान पूर्वक सुना। बादशाह ने तुरंत उस आदमी को दरबार में हाजिर होने का फरमान सुनाया। फरमान सुनते ही वह आदमी तुरंत बादशाह अकबर के दरबार में आ गया।

बादशाह ने उस आदमी से सवाल किया- जब तुमने उस कुएँ को किसान को बेच दिया है, तब तुम उसे कुएँ से पानी क्यों नहीं निकालने दे रहे हो?

आदमी बोला- बादशाह मैंने इसे केवल कुआँ बेचा है, कुआँ का पानी नहीं। यह बात सुनकर बादशाह अकबर भी सोच में पड़ गए। उन्होंने कहा कि बात तो यह सही कह रहा है। इसने कुआँ बेचा हैं, पानी नहीं बेचा है। काफी सोच-विचार करने के बाद जब इस समस्या को सुलझाने में बादशाह अकबर विफल हो गए तो उन्होंने अपने सबसे बुद्धिमान सलाहकार बीरबल को बुलाया।

बीरबल बहुत ही बुद्धिमान था। इसलिए बादशाह अकबर को बीरबल पर पूरा भरोसा था कि वे समस्या का समाधान अवश्य निकाल लेंगे। बीरबल ने शुरू से दोनों की समस्या सुनी। पूरी बात जानने के बाद बीरबल उस आदमी से कहा- ठीक है, तुमने कुआँ बेचा हैं, पानी नहीं। फिर तुम जितनी जल्दी हो सके कुएँ से अपना पानी निकाल लो। क्योंकि कुआँ अब तुम्हारा नहीं है। बीरबल के इतना कहते ही उस आदमी को समझ आ गया कि उसकी चलाकी पकड़ी गई है। उसने बादशाह से तुरंत माफी मांगी तथा यह भी कहा कि कुएँ के साथ-साथ पानी पर भी किसान का पूरा अधिकार है।

बीरबल द्वारा तुरंत न्याय कर देने से बादशाह अकबर प्रसन्न हो गए। उन्होंने बीरबल की प्रशंसा की तथा कुआँ बेचने वाले आदमी को धोखेबाजी करने के आरोप के साथ-साथ जुर्माना भी भरना पड़ा।

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