अक्षांश और देशांतर रेखाएं | Latitude And Longitude Lines in Hindi

अक्षांश और देशांतर रेखाएं (Latitude And Longitude Lines in Hindi): अक्षांश और देशांतर रेखाएं काल्पनिक रेखाएं होती है। पृथ्वी पर ऐसी कोई रेखाएं मौजूद नहीं है। पृथ्वी की भौगोलिक संरचना को समझने के लिए पृथ्वी का एक प्रतिरुप या मॉडल तैयार किया गया है, जिसे ग्लोब कहते हैं।

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अक्षांश और देशांतर रेखाएं (Latitude And Longitude Lines in Hindi): अक्षांश और देशांतर रेखाएं काल्पनिक रेखाएं होती है। पृथ्वी पर ऐसी कोई रेखाएं मौजूद नहीं है। पृथ्वी की भौगोलिक संरचना को समझने के लिए पृथ्वी का एक प्रतिरुप या मॉडल तैयार किया गया है, जिसे ग्लोब कहते हैं। इन दोनों रेखाओं को इसी ग्लोब पर बनाया गया है। ताकि पृथ्वी की संरचना या भौगोलिक स्थिति को अच्छे से समझा या बताया जा सके।

Latitude And Longitude Lines in Hindi
अक्षांश और देशांतर रेखाएं Latitude And Longitude Lines in Hindi

इसी ग्लोब के मध्य में एक रेखा खींची गई है जो पृथ्वी को दो बराबर भागों में बांटती है। मध्य में खींची गई इस रेखा को विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा (Equator) कहते हैं। यह पृथ्वी को दो अर्धवृत्त भागों में बांटता है। विषुवत रेखा के ऊपरी आधे भाग को उत्तरी गोलार्ध तथा नीचे के आधे भाग को दक्षिणी गोलार्ध कहते हैं।

अक्षांश और देशांतर रेखाएं | Latitude And Longitude Lines in Hindi

  • अक्षांश और देशांतर रेखाओं को अंश अर्थात डिग्री में दर्शाया जाता है।
  • विषुवत रेखा को जीरो डिग्री अक्षांश रेखा कहा जाता है।

अक्षांश रेखाएं

अक्षांश रेखाएं विषुवत रेखा के समानांतर पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर प्रत्येक 1 डिग्री के अंतराल पर खींची गई। इन रेखाओं को अक्षांश रेखाएं कहते हैं।

ग्लोब पर अक्षांश रेखाओं की संख्या 181 होती है।

विषुवत रेखा के ऊपरी भाग को उत्तर तथा नीचे के भाग को दक्षिण कहते हैं। प्रत्येक 1 डिग्री के अंतराल पर उत्तर की ओर विषुवत रेखा के समानांतर कुल 90 अक्षांश रेखाएं खींची जाती है। उसी प्रकार दक्षिण की ओर भी 90 अक्षांश रेखाएं खींची जाती है तथा जीरो डिग्री पर एक विषुवत रेखा है। तो कुल मिलाकर 181 अक्षांश रेखाएं होती है।

विषुवत रेखा सबसे बड़ी रेखा होती है। जैसे-जैसे हम ध्रुवों की ओर बढ़ते हैं ये रेखाएं छोटी होती जाती हैं। 90 डिग्री पर जो अक्षांश रेखाएं होती है, वह एक बिंदु के रूप में होती है। अर्थात उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव पर रेखा ना होकर एक बिंदु के रूप में होती है।

जीरो डिग्री अक्षांश रेखा को विषुवत रेखा या भूमध्य रेखा (Equator) कहते हैं। भूमध्य रेखा पृथ्वी को उत्तरी गोलार्ध तथा दक्षिणी गोलार्ध में बांटती है।

  • 23° 26′ (23.43°) N डिग्री उत्तरी अक्षांश को कर्क रेखा कहते हैं।
  • 23° 26′ (23.43°) S डिग्री दक्षिणी अक्षांश को मकर रेखा कहते हैं।
  • 66° 34′ (66.57°) N डिग्री उत्तरी अक्षांश को आर्कटिक रेखा कहते हैं।
  • 66° 34′ (66.57°) S डिग्री दक्षिणी अक्षांश को अंटार्कटिक रेखा कहते हैं।
  • 90° उत्तरी अक्षांश को उत्तरी ध्रुव कहते हैं।
  • 90° दक्षिणी अक्षांश को दक्षिणी ध्रुव कहते हैं।

सूर्य का सर्वाधिक ऊष्मा विषुवत रेखा पर ज्यादा पड़ती है। इसलिए जैसे-जैसे हम विषुवत रेखा के नजदीक जाते हैं, हमें गर्मी ज्यादा लगती है। उसी प्रकार जैसे-जैसे हम विषुवत रेखा से दूर जाते हैं, हमें गर्मी कम लगती है। इसलिए उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव पर तापमान सबसे कम पाया जाता है।

दो अक्षांशीय रेखा के बीच की दूरी को जोन कहते हैं। दोनों रेखाओं के बीच की दूरी लगभग 111 किलोमीटर होती है। सभी अक्षांशीय रेखाएं एक दूसरे के समानांतर होती है। यह रेखाएं सीधी ना होकर वृत्त के रूप में होती है।

देशांतर रेखा

देशांतर रेखा- उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली रेखा को देशांतर रेखा कहते हैं। यह रेखाएं सीधी नहीं होती है। इन रेखाओं को कई स्थानों पर पूर्व की ओर तो कहीं पश्चिम की ओर झुकाया गया है।

पृथ्वी का आकार अंडाकार होने की वजह से यह एक वृत्त की भांति 360 डिग्री का होता है। अगर हम उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव को 1° डिग्री के अंतराल पर रेखा पूरे वृत्त पर खींचे तो हम 360 रेखाएं खींच पाएंगे। इसलिए कुल देशांतर रेखाओं की संख्या 360 होती है।

सभी देशांतर रेखाएं एक समान होती है। इसीलिए जीरो डिग्री देशांतर रेखा को हम ग्रीनविच (लंदन शहर) को मानते हैं।

जो रेखा ग्रीनविच शहर से गुजरती है, उसे जीरो डिग्री देशांतर रेखा माना जाता है। चूँकि जीरो डिग्री पृथ्वी को दो बराबर भागों में बांटती है इसीलिए जीरो डिग्री देशांतर रेखा (ग्रीनविच रेखा) पृथ्वी को 180 डिग्री पूर्वी और 180° डिग्री पश्चिमी दो भागों में बांटती है। जीरो डिग्री देशांतर रेखा से पूर्व की ओर रेखाओं को पूर्वी देशांतर रेखा कहते हैं। जीरो डिग्री पश्चिम की ओर रेखाओं को पश्चिमी देशांतर रेखा कहते हैं। जीरो डिग्री देशांतर रेखा को “प्रधान याम्योत्तर” रेखा भी कहते हैं।

पृथ्वी के ऊपर चार गोलार्ध पाए जाते हैं। उत्तरी गोलार्ध, दक्षिणी गोलार्ध, पूर्वी गोलार्ध और पश्चिमी गोलार्ध। अक्षांश और देशांतर रेखा हमें किसी जगह का पर्याप्त स्थिति की जानकारी देता है।

  • दो देशांतर रेखाओं के मध्य की दूरी विषुवत रेखा के पास 111.321 किलोमीटर होती है।
  • दो देशांतर रेखाओं के बीच की दूरी को गोर (Gore) कहते हैं।

एक देशांतर से दूसरे देशांतर रेखा के पास जाने में पृथ्वी को 4 मिनट का समय लगता है। क्योंकि पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने में 24 घंटे का समय लगाता है। 24 घंटे में 1440 मिनट होते हैं। 1440 मिनट को 360 से विभाजित करने पर हमें 4 मिनट प्राप्त होता है।

पूर्वी देशांतर रेखाओं पर स्थित देशों का समय पश्चिमी देशों से आगे रहता है।

भारत देश का मानक समय ग्रीनविच मीन टाइम से 5 घंटा 30 मिनट आगे रहता है।

देशांतर रेखाएं किसी भी देश के राष्ट्रीय मानक समय का ज्ञान देता है। जिसके द्वारा स्थानीय समय का निर्धारण होता है। इससे प्राप्त समय पूरे देश में एक समान लागू किया जाता है।

82° 30′ पूर्वी देशांतर रेखा भारत के मध्य भाग उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर शहर से गुजरती है। इसे भारत का मानक याम्योत्तर माना गया है। भारत का मानक समय इसी रेखा से निर्धारित की जाती है।

दो अक्षांश और दो देशांतर रेखा के बीच स्थित भाग को “ग्रिड” कहते हैं।

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FAQ – अक्षांश और देशांतर रेखाएं

  1. अक्षांश और देशांतर रेखाएं कितनी होती है?

    ग्लोब पर अक्षांश रेखाओं की संख्या 181 होती है। कुल देशांतर रेखाओं की संख्या 360 होती है।

  2. पृथ्वी पर देशांतर रेखाओं की संख्या कितनी है?

    कुल देशांतर रेखाओं की संख्या 360 होती है।

  3. कुल कितने अक्षांश रेखाएं होती है?

    ग्लोब पर अक्षांश रेखाओं की संख्या 181 होती है।

  4. अक्षांश रेखाएं कौन कौन सी है?

    भूमध्य रेखा के समानान्तर खीचें हुए वृत्तों या आड़ी रेखाओं को अक्षांश वृत्त या रेखाएँ कहते हैं। इनकी कुल संख्या 180 है।

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