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कारक किसे कहते हैं? उदाहरण सहित
हेलो दोस्तों, इस लेख में हम कारक के बारे में पढ़ेंगे, कारक किसे कहते हैं? Karak Kise Kahate Hain? कारक की परिभाषा, कारक के भेद कितने होते है। इसलिए इस लेख को अंत तक पढ़े।
कारक किसे कहते हैं? Karak Kise Kahate Hain
कारक की परिभाषा: संज्ञा या सर्वनाम शब्द का वाक्य में क्रिया के साथ संबंध प्रकट होना ही कारक कहलाता है। अर्थात कारक वाक्य में संज्ञा या सर्वनाम के काम को दर्शाता है कि वह क्या कार्य कर रहा है।
जैसे- श्याम ने कलम से कॉपी पर कहानी लिखी।
कारक के भेद
कारक के मुख्यतः आठ भेद होते हैं। कारक के अपने चिन्ह होते हैं। जिसे “विभक्ति या परसर्ग” कहते हैं। कारक के सभी भेदों के अपने अलग-अलग चिन्ह होते हैं। हिंदी व्याकरण में कारक का अपना एक प्रमुख स्थान है।
कारक के भेद और चिन्ह
क्रम | भेद | चिह्न |
1 | कर्ता | ने (कार्य करने वाला) |
2 | कर्म | को (जिस पर कार्य का प्रभाव पड़ता है) |
3 | करण | से, के द्वारा (जिसके द्वारा कार्य सम्पन्न किया जाता है) |
4 | सम्प्रदान | को,के लिए (जिसके लिए कार्य किया जाए) |
5 | अपादान | से (अलग होने का भाव) कर्ता का किसी से अलग होना |
6 | सम्बन्ध | का, के, की, ना, ने, नी, रा, रे, री (वाक्य में एक दुसरे से सम्बन्ध स्थापित करना) |
7 | अधिकरण | में, पर (क्रिया का आधार) |
8 | संबोधन | हे !, अरे !, अहो !, अहा ! (किसी को संबोधित या बुलाने के लिए) |
कर्ता कारक किसे कहते हैं?
संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से वाक्य में कार्य करने का बोध हो, उस रूप को कर्ता कारक कहते हैं। कर्ता कारक का विभक्ति चिन्ह “ने” है।
जैसे- श्याम ने रोटी खाया।
सीता किताब पढ़ती है।
उपयुक्त उदाहरण में कर्ता (श्याम) का चिन्ह “ने” है। जिससे यह पता चलता है कि श्याम (कर्ता) ने रोटी खाया है। इसलिए इस उदाहरण से कर्ता कारक का पता चलता है।
नोट- भूतकाल के सकर्मक क्रिया में कर्ता के साथ में विभक्ति चिन्ह लगाया जाता है। परंतु भूतकाल के अकर्मक क्रिया के साथ में विभक्ति चिन्ह नहीं लगाया जाता है।
जैसे- मोहन चला गया।
उपयुक्त उदाहरण में कर्ता (मोहन) का कर्म सही से पता नहीं है कि वह कहां गया है। इसलिए यह अकर्मक क्रिया है। इसलिए यहां “ने” का प्रयोग नहीं हुआ है। वर्तमान काल और भविष्य काल में “ने” विभक्ति चिन्ह का प्रयोग नहीं होता है।
जैसे- सीता किताब पढ़ती है। (वर्तमान काल)
मोहन बाजार जाएगा। (भविष्य काल)
उपयुक्त उदाहरण में सीता वर्तमान काल में है तथा मोहन भविष्य काल को इंगित कर रहा है। इसलिए यहां कर्ता के साथ “ने” विभक्ति चिन्ह का प्रयोग नहीं हुआ है।
कर्म कारक किसे कहते हैं?
जब कर्ता के कोई कार्य करने का फल कर्म पर पड़े तो उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म कारक का विभक्ति चिन्ह “को” है।
जैसे- शिक्षक ने छात्रों को पढ़ाया।
राम ने गाय को चारा खिलाया।
उपयुक्त उदाहरण में पढ़ाने (क्रिया) का फल छात्र (कर्म) पर पड़ रहा है। वैसे ही खिलाने क्रिया का फल गाय पर पड़ रहा है।
करण कारक किसे कहते हैं?
वाक्य में जब कर्ता के किसी कार्य को संपन्न करने में जिस चीज की सहायता लेनी पड़ती है या जिस चीज के द्वारा कार्य पूर्ण होता है, उसे करण कारक कहते हैं। करण कारक का विभक्ति चिन्ह “से” है।
जैसे- सीता कलम से पत्र लिखती है।
क्षत्रिय तलवार से युद्ध करते हैं।
उपयुक्त उदाहरण में पत्र लिखने का कार्य कलम से तथा युद्ध लड़ने का कार्य तलवार से हो रहा है। अतः यह करण कारक है।
संप्रदान कारक किसे कहते हैं?
जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द से किसी क्रिया को करने का मकसद किसी को या किसी अन्य के लिए किया जाए उसे संप्रदान कारक कहते हैं। अर्थात जब कार्य किसी दूसरों के लिए संपन्न किया जाए, उसे संप्रदान कारक कहते हैं। संप्रदान कारक का विभक्ति चिन्ह “को, के लिए” है।
जैसे- माँ बच्चों के लिए भोजन बनाती है।
सेठ गरीबों को दान देता है।
उपयुक्त उदाहरण में स्पष्ट हो रहा है कि भोजन बनाने तथा दान देने का कार्य किसी अन्य के लिए किया जा रहा है।
अपादान कारक किसे कहते हैं?
जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द से यह पता चले कि कोई वस्तु या व्यक्ति का किसी से अलगाव या दूरी हो रहा है, उसे अपादान कारक कहते हैं। अपादान कारक का विभक्ति चिन्ह “से” है।
जैसे- पेड़ से आम गिरा।
पेड़ से पत्ते गिरे।
उपयुक्त उदाहरण में आम और पत्ते का पेड़ से अलगाव हो रहा है। इसलिए यह अपादान कारक है।
नोट- करण कारक का भी विभक्ति चिन्ह “से” है। परंतु करण कारक मे जुड़ाव होता है।
संबंध कारक किसे कहते हैं?
जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द का वाक्य में दूसरे शब्द या वस्तु के साथ आपस में संबंध स्थापित हो, उसे संबंध कारक कहते हैं। संबंध कारक का चिन्ह “का, के, की, ना, ने, नी, रा, रे, री” है।
जैसे- यह राम का कलम है।
यह सीता की कमीज है।
अपना घर सुंदर है।
तुम्हारी लिखावट अच्छी है।
तुम्हारे घर के पास मेरा घर है।
उपयुक्त उदाहरण से स्पष्ट हो रहा है कि राम का संबंध कलम से है। सीता का संबंध कमीज से है। इसी प्रकार अपना, तुम्हारे, तुम्हारी, मेरा भी वाक्य में संबंध स्थापित कर रहे हैं।
अधिकरण कारक किसे कहते हैं?
जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द से वाक्य में कार्य के आधार का बोध हो, उसे अधिकरण कारक कहते हैं। अधिकरण कारक का विभक्ति चिन्ह “में, पर” है।
जैसे- किताब मेज पर रखा है।
मछली जल में रहती है।
राम घोड़ा पर बैठा है।
उपयुक्त उदाहरण में मेज पर, जल में, संज्ञा शब्द किताब, मछली के कार्य के आधार को दर्शा रहे हैं।
संबोधन कारक किसे कहते हैं?
जिस संज्ञा या सर्वनाम शब्द से किसी को संबोधित करने या बुलाने के भाव का बोध हो, उसे संबोधन कारक कहते हैं। संबोधन कारक का चिन्ह “हे!, अरे!, अहो!, अहा!” है।
जैसे- हे! ईश्वर मुझे शक्ति दीजिए।
अरे! यह क्या चीज है।
अहो! जरा इधर आना।
अहा! कितना सुंदर उपवन है।
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