Kaal Kise Kahate Hain: क्रिया के जिस रूप से किसी कार्य के होने या करने के समय का पता चलता है, उसे काल कहते हैं।
जैसे-
मैं स्कूल जा रहा हूँ।
मैं स्कूल गया था।
मैं स्कूल जाऊँगा।
ऊपर दिए गए उदाहरणों में ‘जा रहा हूँ’, ‘गया था’, ‘जाऊँगा’ शब्द क्रिया है जो उनके होने का समय बता रहा है। तीनों क्रियाओं के होने का समय अलग-अलग है।
काल के कितने भेद होते हैं?
काल के निम्नलिखित तीन भेद होते हैं-
1. | वर्तमान काल (अभी चल रहा समय) |
2. | भूतकाल (बीता हुआ समय) |
3. | भविष्यत् काल (आने वाला समय) |
वर्तमान काल किसे कहते हैं?
वर्तमान काल- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कोई कार्य अभी हो रहा है, उसे वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे- राहुल साइकिल चला रहा है।
माँ खाना पका रही है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘रहा है’, ‘रही है’ क्रिया शब्दों से कार्य के अभी चल रहे समय में होने का पता चल रहा है। अतः ये वर्तमान काल की क्रियाएँ है। जिस वाक्य के अंत में रहा है, रही है, रहे हैं, ता है, ती है, ते हैं, लगे रहते हैं। वह वाक्य वर्तमान काल की पहचान कराते हैं।
नोट- कुछ क्रियाएं ऐसी होती है, जिन्हें हम सदा करते हैं या वे सदा होती है। वह सभी क्रियाएं वर्तमान काल के अंतर्गत आते हैं।
जैसे- विद्यार्थी प्रतिदिन स्कूल जाते हैं।
सूर्य पूरब दिशा में उगता है।
वर्तमान काल के कितने भेद होते हैं?
वर्तमान काल के निम्नलिखित चार भेद होते हैं।
- सामान्य वर्तमान काल
- अपूर्ण वर्तमान काल
- पूर्ण वर्तमान काल
- संदिग्ध वर्तमान काल
सामान्य वर्तमान काल किसे कहते हैं?
सामान्य वर्तमान काल- क्रिया का वह रूप जो वर्तमान समय में होने का बोध कराता है या सामान्य रूप से चल रहा होता है, उसे सामान्य वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे- वह स्कूल जाता है।
वह टीवी देखता है।
पंडित पूजा कराता है।
अपूर्ण वर्तमान काल किसे कहते हैं?
अपूर्ण वर्तमान काल- क्रिया के जिस रुप से जो कार्य वर्तमान समय में हो रहा होता है, उसे अपूर्ण वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे- बच्चे खाना खा रहे हैं।
गीता गाना गा रही है।
उपर्युक्त उदाहरण से यह पता चल रहा है कि वर्तमान काल में कार्य हो रहा है। अपूर्ण वर्तमान काल की पहचान रहा है, रहे हैं, से होती है।
पूर्ण वर्तमान काल किसे कहते हैं?
पूर्ण वर्तमान काल- क्रिया के जिस रुप से वर्तमान काल में कार्य के पूर्ण हो जाने का बोध हो, उसे पूर्ण वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे- मोहन घर आया है।
सोहन क्रिकेट खेला है।
उपर्युक्त उदाहरण से यह पता चल रहा है कि वर्तमान काल में कार्य पूरा हो गया है।
संदिग्ध वर्तमान काल किसे कहते हैं?
संदिग्ध वर्तमान काल- क्रिया के जिस रुप से वर्तमान समय में कार्य के होने में संदेह का बोध हो, उसे संदिग्ध वर्तमान काल कहते हैं।
जैसे- वह स्कूल गया होगा।
मोहन दिल्ली से आया होगा।
उपर्युक्त उदाहरण से यह पता चल रहा है कि कार्य के होने में संदेह का पता चल रहा है।
भूतकाल किसे कहते हैं?
भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से कार्य के उसके बीते हुए समय में होने का पता चलता है, उसे भूतकाल कहते हैं।
दूसरे शब्दों में, जब कोई कार्य अपनी समाप्ति या हो जाने का बोध कराता है, उसे भूतकाल कहते हैं।
जैसे- शिल्पा बाजार से मिठाई लाई थी।
रमेश खाना खाया था।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘लाई थी’ तथा ‘खाया था’ क्रिया शब्दों से कार्य के बीते समय में होने का पता चलता है। अतः यह भूतकाल के उदाहरण है। भूतकाल की सामान्य पहचान था, थे, थी, या, ए से की जाती है।
भूतकाल के कितने भेद होते हैं?
भूतकाल के 6 भेद होते हैं-
- सामान्य भूतकाल
- आसन्न भूतकाल
- पूर्ण भूतकाल
- अपूर्ण भूतकाल
- संदिग्ध भूतकाल
- हेतुहेतुमद् भूतकाल
सामान्य भूतकाल किसे कहते हैं?
सामान्य भूतकाल- क्रिया के जिस रुप से कार्य के बीते समय में सामान्य रूप से होने का बोध कराता है, उसे सामान्य भूतकाल कहते हैं।
जैसे- मोहन खाना खा लिया।
सीता घर चली गई।
उपर्युक्त उदाहरण में कार्य का बीते समय में हो जाने का बोध हो रहा है।
आसन्न भूतकाल किसे कहते हैं?
आसन्न भूतकाल- क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि कार्य अभी कुछ क्षण पहले ही समाप्त किया गया हो, उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
दूसरे शब्दों में, जब कार्य तत्काल ही समाप्त कर लिया गया हो, उसे आसन्न भूतकाल कहते हैं।
जैसे- मोहन अभी आया है।
सीमा ने मिठाई खाली है।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘आया है’, ‘खाली है’ क्रियाओं से पता चल रहा है कि कार्य अभी-अभी पूरा हुआ है। यह आसन्न भूतकाल की क्रियाएं है।
नोट- आसन्न भूतकाल के वाक्यों से स्पष्ट पता चलता है कि कार्य पूर्ण हो चुका है। फिर भी ऐसे वाक्यों की क्रियाओं का संबंध वर्तमान से ही अधिक रहता है, भूतकाल से कम। इसलिए इसके साथ आज, अभी, तुरंत आदि वर्तमान काल सूचक शब्दों का प्रयोग तो हो सकता है पर भूतकाल का बोध कराने वाले शब्दों का नहीं।
जैसे- राम अभी खाया है।
रमेश आज ही दिल्ली गया है।
पूर्ण भूतकाल किसे कहते हैं?
पूर्ण भूतकाल- क्रिया के जिस रुप से यह पता चले कि कार्य को समाप्त हुए काफी समय बीत गया है, अर्थात जब कार्य अपने समाप्ति का स्पष्ट समय का बोध कराता हो, उसे पूर्ण भूतकाल कहते हैं।
जैसे- महिमा की परीक्षा पिछले महीने हो गई।
रमेश परसो दिल्ली चला गया।
उपर्युक्त उदाहरण में यह स्पष्ट हो रहा है कि कार्य अपनी समाप्ति का स्पष्ट समय बता रहा है।
अपूर्ण भूतकाल किसे कहते हैं?
अपूर्ण भूतकाल- क्रिया के जिस रुप से यह पता चले कि कार्य बीते समय में हो रही थी परंतु पूर्ण नहीं हुई, उसे अपूर्ण भूतकाल कहते हैं।
जैसे- रोशनी खेल रही थी।
गोलू रोए जा रहा था।
ऊपर दिए गए उदाहरण में ‘खेल रही थी’, ‘रोए जा रहा था’ क्रियाओं से पता चलता है कि कार्य बीते समय में शुरू हुआ था परंतु पूर्ण नहीं हुआ था। अतः यह अपूर्ण भूतकाल की क्रियाएं हैं।
संदिग्ध भूतकाल किसे कहते हैं?
संदिग्ध भूतकाल- क्रिया के जिस रुप से कार्य की बीते समय में होने का पता तो चले परंतु क्रिया के होने में संदेह हो तो, उसे संदिग्ध भूतकाल कहते हैं।
जैसे- राम पढ़ लिया होगा।
रमेश खाना खा लिया होगा।
उपर्युक्त उदाहरण से हमें कार्य के होने में संदेह का पता चल रहा है। कार्य हुआ है कि नहीं यह पता नहीं चल पा रहा है।
हेतुहेतुमद् भूतकाल किसे कहते हैं?
हेतुहेतुमद् भूतकाल- क्रिया के जिस रुप से यह पता चले कि बीते समय की एक क्रिया दूसरी क्रिया पर निर्भर होती है, उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते हैं। अर्थात किसी क्रिया के संपन्न होने में दूसरे क्रिया की भागीदारी होती है तो उसे हेतुहेतुमद् भूतकाल कहते हैं।
जैसे- मोहन पढ़ता तो पास हो जाता।
सुरेश समय से जाता तो बस पर सवार हो जाता।
उपर्युक्त वाक्यों में ‘पास होना, पढ़ने पर तथा ‘बस पर सवार होना’, समय से जाने पर निर्भर है। अतः यहां एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर है।
भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
भविष्यत् काल- क्रिया के जिस रूप से आने वाले समय में कार्य के होने का बोध हो, उसे भविष्यत् काल कहते हैं।
जैसे- मैं कल चिड़िया घर जाऊंगा।
हम कल सिनेमा देखने चलेंगे।
जिस वाक्य के अंत में गा, गे, गी, लगा रहता है वह वाक्य भविष्यत् काल की पहचान कराता है।
ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘जाऊंगा’, ‘चलेंगे’ क्रियाओं से आने वाले समय में कार्य के होने का बोध हो रहा है। भविष्यत् काल की क्रियाएं आने वाले समय में काम का होना प्रकट करता है।
भविष्यत् काल के कितने भेद होते हैं?
भविष्यत् काल के पांच भेद होते हैं-
- सामान्य भविष्यत् काल
- संभाव्य भविष्यत् काल
- हेतुहेतुमद् भविष्यत् काल
- अपूर्ण भविष्यत् काल
- पूर्ण भविष्यत् काल
सामान्य भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
सामान्य भविष्यत् काल- क्रिया के जिस रुप से किसी कार्य का उसके आने वाले समय में सामान्य रूप से होने का बोध हो, उसे सामान्य भविष्यत् काल कहते हैं।
जैसे- राहुल दिल्ली जाएगा।
माला विद्यालय जाएगी।
गीता कहानी लिखेगी।
ऊपर दिए गए वाक्यों में जाएगा, जाएगी, लिखेगी क्रियाओं से कार्य के भविष्य में सामान्य रूप से होने का बोध हो रहा है। अतः यह क्रिया सामान्य भविष्यत् काल की क्रियाएं हैं।
संभाव्य भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
संभाव्य भविष्यत् काल- क्रिया के जिस रुप से उसके भविष्य में होने की संभावना या संदेह पाया जाए, उसे संभाव्य भविष्यत् काल कहते हैं।
जैसे- शायद आज वर्षा हो जाए।
हो सकता है कि राहुल कल आए।
संभव है कि कल परीक्षाफल आ जाए।
ऊपर दिए गए वाक्यों में हो जाए, आए, आ जाए क्रियाओं के होने में संभावना व्यक्त हो रही है। अतः यह संभाव्य भविष्यत् काल की क्रियाएं हैं।
हेतुहेतुमद् भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
हेतुहेतुमद् भविष्यत् काल- जब आने वाले समय अर्थात भविष्य में एक क्रिया का होना दूसरी क्रिया पर निर्भर हो तो, उसे हेतुहेतुमद् भविष्यत् काल कहते हैं।
जैसे- अगर सीमा आएगी तो मैं जाऊंगी।
यदि राम पढ़ेगा तो मैं पढ़ाऊँगा।
ऊपर दिए गए वाक्यों में जाऊंगी, पढ़ाऊँगा क्रियाएं क्रमशः आएगी तथा पढ़ेगा क्रियाओं पर निर्भर है। इन क्रियाओं के होने पर ही दूसरी क्रियाएं सम्पन्न होगी अन्यथा नहीं।
अपूर्ण भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
अपूर्ण भविष्यत् काल- क्रिया के जिस रुप से कोई कार्य भविष्य में जारी रहेगा, उसे अपूर्ण भविष्यत् काल कहते हैं।
जैसे- मुझे विश्वास है कि वह गाता रहेगा।
भले व्यक्ति अच्छे कार्य करते रहेंगे।
नोट- इस काल की वाक्य की रचना इस प्रकार की जाती है- धातु+ता रहेगा / ते रहेंगे / ती रहेगी।
पूर्ण भविष्यत् काल किसे कहते हैं?
पूर्ण भविष्यत् काल- क्रिया के जिस रूप से कार्य के पूर्ण रूप से भविष्य में समाप्त हो जाने की संभावना होती है, उसे पूर्ण भविष्यत् काल कहते है।
जैसे- वह खा चुकेगा।
वह लिखना समाप्त कर चुकेगी।
इस काल में वाक्य की रचना इस प्रकार होती है- धातु+चुकेगा / चुकेंगे / चुकेगी।
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