सभी विषयों में से व्याकरण (Vyakaran Kise Kahate Hain) एक ऐसा विषय है जिसे सामान्यतः कठिन एवं नीरस समझा जाता है। व्याकरण के बिना भी हम भाषा को बोल सकते हैं। ठीक वैसे ही जैसे एक छोटा बच्चा अभी-अभी बोलना सीख रहा हो।
लेकिन भाषा को अच्छी तरीके से समझने के लिए और बोलने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य भी है।
सभी भाषाओं को बोलने के लिए उससे संबंधित व्याकरण का ज्ञान होना अति आवश्यक है। व्याकरण से ही हम भाषा को शुद्ध रूप में बोलना, लिखना और पढ़ना सीखते हैं। व्याकरण को सीख करके ही हम अपने भाषा के ज्ञान को और सुदृढ़ करते हैं।
इस लेख द्वारा हम व्याकरण के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
व्याकरण किसे कहते हैं? Vyakaran Kise Kahate Hain?
किसी भी भाषा को शुद्ध रूप से लिखते, पढ़ते, बोलते या सुनते हैं उसे व्याकरण कहते हैं। भाषा की शुद्धता हमें व्याकरण के ज्ञान से ही मिलता है। अतः किसी भी भाषा के शब्द ज्ञान के लिए उसके व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य है।
व्याकरण एक शास्त्र है। जिसमें भाषा के संबंध में अनेक नियम होते हैं। इन नियमों के पालन एवं प्रयोग से ही भाषा को शुद्ध रूप में लिखा और बोला जाता है।
व्याकरण के मुख्य तीन अंग होते हैं।
- वर्ण-विचार
- शब्द-विचार
- वाक्य-विचार
वर्ण-विचार
बोलते समय हमारे मुख से कुछ ध्वनियाँ निकलती हैं। इन ध्वनियों को लिखने के लिए कुछ संकेत या चिन्ह प्रयोग में लाए जाते हैं। उन्ही संकेतों या चिन्हों को वर्ण कहते हैं। वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है। जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते हैं।
नोट- ध्वनि केवल बोलने और सुनने के लिए होती है। परंतु वर्ण का प्रयोग बोलने और लिखने दोनों में किया जाता है।
जैसे-
क्+अ+म्+अ+ल्+अ = कमल
‘कमल’ शब्द में छह ध्वनियाँ है- ‘क’, ‘अ’, ‘म’, ‘अ’, ‘ल’, ‘अ’
इन ध्वनियों के टुकड़े नहीं किए जा सकते हैं।
शब्द-विचार
वर्णों के निश्चित क्रम एवं समूह के सार्थक मेल को शब्द कहते हैं।
जैसे-
क्+इ+त्+आ+ब्+अ = किताब
म्+ओ+र्+अ = मोर
इन सभी शब्दों का अपना एक अर्थ है।
अर्थ के आधार पर शब्द के दो भेद होते हैं।
- सार्थक शब्द
- निरर्थक शब्द
सार्थक शब्द
जिन शब्दों का कोई अर्थ होता है, वह सार्थक शब्द कहलाता है। जैसे- पानी, किताब, मकान इत्यादि।
निरर्थक शब्द
जिन शब्दों का कोई अर्थ नहीं होता है, वह निरर्थक शब्द कहलाते हैं। जैसे- चाला, कीली, कीरा।
वाक्य-विचार
शब्दों का ऐसा समूह जो एक निश्चित अर्थ देता है, वाक्य कहलाता है। अतः हम कह सकते हैं कि निश्चित क्रम से बने शब्दों का सार्थक समूह वाक्य कहलाता है। वाक्य के द्वारा ही हम अपने मन के भाव या विचार प्रकट करते हैं।
वाक्य के 2 अंग होते हैं
- उद्देश्य
- विधेय
उद्देश्य
वाक्य में जिसके बारे में कुछ कहा जाता है, उसे उद्देश्य कहते हैं।
जैसे-
मोहन खेलता है।
रीता पुस्तक पढ़ रही है।
उपयुक्त उदाहरण में मोहन और रीता उद्देश्य है। जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे क्या कर रहे हैं।
विधेय
वाक्य में उद्देश्य के बारे में जो कुछ कहा जाता है, उसे विधेय कहते हैं।
उपयुक्त उदाहरण में मोहन के द्वारा खेला जा रहा है तथा रीता के द्वारा पुस्तक पढ़ना विधेय है।
इस प्रकार कर्ता द्वारा किए जाने वाले कोई भी कार्य विधेय होते हैं।
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