Peshagi Thappad : Mulla Nasruddin Ki Kahani | पेशगी थप्पड़ : मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी

Peshagi Thappad : Mulla Nasruddin Ki Kahani ( पेशगी थप्पड़ : मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी )

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Peshagi Thappad : Mulla Nasruddin Ki Kahani – एक बार मुल्ला नसरुद्दीन ने अपने काम में हाथ बँटाने के लिए एक सहायक रखा। वह अपने लिए एक सहायक रखना शान समझता था। मुल्ला अपने सहायक से घर का कामकाज भी करवाता था।

Peshagi Thappad : Mulla Nasruddin Ki Kahani
Peshagi Thappad : Mulla Nasruddin Ki Kahani पेशगी थप्पड़ : मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी

Peshagi Thappad : Mulla Nasruddin Ki Kahani | पेशगी थप्पड़ : मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी

जब मुल्ला नसरुद्दीन तालाब से पानी भरकर लता था, तो उसकी मुलाकात किसी-न-किसी पहचान वाले से हो ही जाती थी। वह आदाब करता तो, नसरुद्दीन को भी झुक कर जवाब देना पड़ता था। जिसके कारण नसरुद्दीन के कंधे पर घड़े में रखा सारा पानी सामने वाले पर जा गीरता था। जिसकी वजह से नसरुद्दीन को शर्मिंदगी उठानी पड़ती थी। कभी-कभी तो चलते समय ठोकर लग जाने से घड़ा भी गिरकर टूट जाता था। वह बहुत परेशान हो चुका था। मुल्ला नसरुद्दीन ने यह काम अपने नौकर अब्दुल को दे दिया।

नसरुद्दीन ने उसे मिट्टी का घड़ा देते हुए कहा- इस घड़े से तुम्हें रोज 12 घड़े पानी तालाब से भरकर लाना है। अब्दुल ने हाँ में सिर हिलाया। जैसे ही वह जाने को तैयार हुआ कि मुल्ला नसरुद्दीन ने बोला- सुनो सावधानी बरतना, घड़ा टूटना नहीं चाहिए। अब्दुल जैसे ही बाहर जाने के लिए मुड़ा, नसरुद्दीन फिर बोला- अब्दुल! चौकस रहना। यदि तुमने घड़ा तोड़ दिया तो थप्पड़ खाना पड़ेगा। इस बात को याद रखना।

अभी अब्दुल दरवाजे तक पहुंचा ही था कि नसीरुद्दीन ने तेज आवाज में हाथ से इशारा करते हुए वापस बुलाया। हैरान, परेशान नौकर वापस नसरुद्दीन के सामने खड़ा हो गया। नसरुद्दीन ने अचानक से जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ दिया। थप्पड़ की तेज आवाज हुई। अब्दुल के हाथ से घड़ा छूटते-छूटते बचा। अब्दुल चिंतित होकर बोला- मालिक! आपने मुझे मारा क्यों? मैंने तो घड़ा तोड़ा ही नहीं।

नसरुद्दीन बोला- देखो भाई! अगर मैं, तुम्हें घड़ा टूटने के बाद थप्पड़ मारता तो भी घड़ा जुड़ता तो नहीं। बोलो- जुड़ता क्या? अब्दुल बोला- नहीं। इसलिए मैंने तुम्हें मारा है, ताकि तुम याद रखो की घड़ा टूटने पर कैसा थप्पड़ पड़ेगा। इससे तुम भविष्य में चौकस रहोगे। इस बात को सुनकर नौकर का मुंह खुला-का-खुला रह गया।

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