Kahani Kise Kahate Hain: कहानी गद्य साहित्य का बहुत ही महत्वपूर्ण विधा है। जो कभी काल्पनिक होते हैं, तो कभी सच के धरातल से जुड़े हुए होते हैं। कहानी कितनी रोचक और मनोरंजक है, यह सुनने और पढ़ने वालों के भावों से जाना जा सकता है। कहानी सुनना और कहना मनुष्य के स्वभाव में बसा हुआ है।
कहानी कहना और लिखना दोनों ही अलग-अलग बातें हैं। कहानी दो प्रकार की होती है। पहला रचनात्मक काल्पनिक और दूसरा जीवन के किसी खास पक्ष जैसे- भावनात्मक, प्रेम, सौंदर्य, चरित्र, घटना आदि का चित्रण किया जाता है।
कहा जाए तो कहानी के कई प्रकार होते हैं। पहली वह कहानियां होती हैं जो कहानीकार के मन से सृजित किया जाता है। अर्थात स्वयं के मन की रचनात्मकता। जिसका उद्देश्य समाज के लोगों का सामाजिक, नैतिक, शैक्षणिक, चारित्रिक विकास करना होता है।
दूसरे प्रकार की कहानियां वे होती हैं जो किसी के जीवन से संबंधित घटना, चरित्र की विशेषता, गुण, दोष, मार्गदर्शन, आदि को दर्शाता है।
तीसरे प्रकार की कहानियों में पौराणिक कथाएं होती है। जिससे धर्म विशेष के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है। वैसे ही दंत कथाएं होती हैं। जो सदियों से एक दूसरे के माध्यम से निरंतर पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ते रहती हैं।
वैसे ही कहानियों के और भी कई रूप होते हैं। जैसे- वैराग्य, साहस, शौर्य, प्रेम, न्यायपरक इत्यादि कहानियां बहुत ज्यादा बड़ी नहीं होती है। वह अपनी बात कम समय में ही समझा जाती हैं। इसलिए कहानियां ज्यादा रोचक और जन-जन में प्रचलित होती है।
कहानी लिखते समय हमें कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। कहानी लिखना भी एक कला है।
- कहानी का शीर्षक छोटा, रोचक तथा कहानी के मुख्य घटना या पात्र से संबंधित होनी चाहिए।
- कहानी में वाक्यों की लंबाई, छोटी तथा अर्थ पूर्ण होनी चाहिए।
- कहानी की भाषा सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।
- कहानी का विषय अर्थ पूर्ण होने चाहिए। जिसका मतलब पाठक को आसानी से समझ में आ जाए।
- कहानी के समापन पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
कहानी दो तरीके से लिखी जा सकती है।
- पहला चित्र तथा संकेतों के आधार पर।
- दूसरा सहायक शब्दों के आधार पर।
कहानी का विकास 19वीं सदी में हुआ था। हिंदी में कहानी को “गद्द” भी कहते हैं। वैसे ही संस्कृत भाषा में “कथा“, बंगला भाषा में “गल्प“, तथा अंग्रेजी में “शॉर्ट स्टोरी” कहते हैं।
यहां कुछ प्रसिद्ध कहानीकार द्वारा कहानी को इस प्रकार परिभाषित किया गया है।
हिंदी साहित्य को हिंदी जगत में आसमान की ऊंचाई तक ले जाने वाले कथाकार मुंशी प्रेमचंद जी है। वे “कलम का सिपाही” या “कलम का जादूगर” उपनाम से प्रसिद्ध है।
उनके अनुसार कहानी वह ध्रुपद की तान है जिसमें गायक महफिल शुरू होते ही अपनी संपूर्ण प्रतिभा दिखा देता है। एक क्षण में चित्र को इतने माधुर्य से परिपूर्ण कर देता है। जितना रात भर गाना सुनने से भी नहीं हो सकता।
अमेरिका के प्रसिद्ध कवि कथाकार “एडगर एलिन पो” के अनुसार कहानी को इस प्रकार परिभाषित किया गया है। कहानी वह छोटी आख्यानात्मक रचना है, जिसे एक बैठक में पढ़ा जा सके। जो पाठक पर एक समन्वित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए लिखी गई हो। जिसमें उस प्रभाव को उत्पन्न करने में सहायक तत्व के अतिरिक्त कुछ न हो और जो अपने आप में पूर्ण हो।
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कहानी लेखन के तत्व
कहानी को उसके छहः तत्व जब आपस में मिलते हैं, तब एक परिपूर्ण कहानी का जन्म होता है। कहानी को उसका अर्थ प्रदान करता है तथा उसमें रस का संचार करता है।
कहानी के निम्नलिखित 6 तत्व होते हैं | Kahani Kise Kahate Hain
- कथावस्तु
- चरित्र चित्रण
- कथोपकथन या संवाद
- देशकाल या वातावरण
- भाषा-शैली
- उद्देश्य
कथावस्तु
जिस प्रकार मनुष्य का शरीर की रीढ़ की हड्डी के सहारे टिका रहता है। वैसे ही एक कहानी में सशक्त कथावस्तु का होना आवश्यक है। यह कहानी का केंद्र होता है। जिसके इर्द-गिर्द पूरी कहानी को पिरोया जाता है।
कथावस्तु के भी 4 अंग होते हैं
- आरंभ
- आरोह
- चरम स्थिति
- अवरोह
कहानी का आरंभ रोचक होना चाहिए। जो पाठक को पढ़ने के लिए प्रेरित करे।
चरित्र चित्रण
कहानी में दो या दो से अधिक पात्र होते हैं। सभी पात्र अपनी-अपनी जगह पर अपनी महत्ता को दर्शाते हैं। पूरी कहानी सभी पात्रों के सहयोग से ही आगे बढ़ती रहती है। जिसमें पात्रों के गुण-दोष के भाव का चित्रण किया जाता है।
कथोपकथन या संवाद
किसी भी कहानी का “संवाद” उसका प्रमुख अंग होता है। कहानी का संवाद स्पष्ट सशक्त और प्रभावशाली होना चाहिए। संवाद के द्वारा ही पात्र आपस में जुड़े रहते हैं तथा अन्य मनोभावों को प्रकट करते हैं।
देशकाल या वातावरण
कहानी में देशकाल या वातावरण का भी अहम भूमिका होती है। कहानी में यह इंगित किया जाता है कि कहानी किस समय का तथा किस वातावरण का है। वातावरण का भी ध्यान दिया जाता है।
भाषा शैली
सर्वप्रथम कहानी की भाषा-शैली सरल होनी चाहिए। ताकि पाठक बिना किसी अवरोध के पढ़ सके। कहानी को कलात्मक बनाने के लिए उसको अलग-अलग भाषा और शैली से सजाया जाता है।
उद्देश्य
कहानी मनोरंजन के साथ-साथ अपने एक निश्चित उद्देश्य को दर्शाता है।
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