Motivational Story In Hindi: सब कुछ पाने का प्रयास छोड़ दो सब अपने आप ही मिल जायेगा

Motivational Story In Hindi: सब कुछ पाने का प्रयास छोड़ दो सब अपने आप ही मिल जायेगा | Sab Kuchh Paane Ka Prayas Chhod Do Sab Apne Aap Hi Mil Jayega | Gautam Buddh ki kahani

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Motivational Story In Hindi: एक राज्य का राजा बड़ा ही परेशान था। उसके ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारीयाँ थी और अपनी इसी जिम्मेदारियों के कारण वह दुखी रहता था। उसके जीवन में एक पल भी सुख नहीं था। राजा बस अपने जीवन में सुख चाहता था। राज्य चलाने की समस्या, लोगों की बातें सुनने की समस्या, यह सब कुछ उन्हे बेकार का झंझट लगता था। वह चाहता था कि बिना किसी परेशानी के सब कुछ सही चलता रहे।

फिर एक दिन, उसके राज्य में एक गुरु पधारे। गुरु के प्रवचन सुनने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती थी। तब राजा स्वयं उस गुरु के पास पहुंचा और कहा- क्या आप मेरे समस्या का समाधान कर सकते हैं? गुरु ने कहा- यह तो समस्या पर निर्भर है कि तुम्हारी समस्या कैसी है।

पहले अपना समस्या तो बताएं। राजा ने कहा, गुरुदेव मैं खुल कर जीना चाहता हूं। मैं दबा हुआ हूं। इस राजपाट में मेरे ऊपर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं। और इस कारण से मैं जीवन में सुखी नहीं हूँ। अगर मेरा यह राज पाट नहीं होता, ये जिम्मेदारियां नहीं होती, तो मैं शायद खुश होता, कितना सुखी होता मैं। कृपया मुझे कोई ऐसा मार्ग बताइए जिससे की मैं इस सारी झंझट से मुक्त हो जाओ। मैं सुकून से जी सकूँ।

राजा की बातें सुनकर गुरु मुस्कुराए और गुरु ने कहा यह तो बड़ा आसान है। इसका सिर्फ एक ही उपाय है। और ज्यादातर लोग इसी उपाय को अपनाते हैं। आप भी अपना लीजिए। यह सुनकर राजा ने कहा जब यह इतना आसान है तो कृपया मुझे जल्दी बताइए। वो उपाय क्या है? गुरु ने कहा तुम अपना राजपाट मुझे देखकर जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाओ और यहां से चले जाओ, अपना सुखी जीवन जीने के लिए। तुम इस जगह से आजाद हो जाओ।

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Motivational Story In Hindi: Sab Kuchh Paane Ka Prayas Chhod Do Sab Apne Aap Hi Mil Jayega

राजा ने कहा, गुरुदेव जब यह जिम्मेदारियां मुझसे संभाली नहीं जाती तो आप इसे कैसे संभाल पाएंगे? मेरी तरह आपका जीवन भी दुख से भर जाएगा। गुरु ने कहा, कोई बात नहीं। हम दुख उठा लेंगे। और राजा अपने राज्य को गुरु को देने के लिए तैयार हो गया। उसने दरबार में सबके सामने गुरु का राज्याभिषेक भी किया। और खुद उस राज्य को छोड़कर चला गया। जाते समय वह अपने साथ कुछ धन लेकर गया था।

राजा अपने जीवन को बहुत शांत स्वभाव के साथ काटना चाहता था। जैसे उसे किसी चीज का दबाव ना हो, किसी चीज का डर ना हो, कोई परेशानी नहीं आए। राजा जिस धन को लेकर राजमहल से बाहर गया उस धन से तो एक वर्ष उस राजा का आराम से गुजारा हो गया। अब राजा को चिंता और परेशानी होने लगी की आने वाला समय में वह अपने जीवन कैसे व्यतीत करेगा। तब उसने बचे हुए ध्यान से कुछ व्यापार शुरू करने की सोची। फिर उसने छोटा सा व्यापार आरंभ किया। उस व्यापार में राजा को इतना घाटा हुआ जो की उसका जमा हुआ धन जो 6 महीने में खत्म होता, वह 1 महीने में खत्म हो गया।

राजा के ऊपर और कर्जा भी हो गया था। लोगों से उधार ले चुके थे और उसी कर्जा को चुकाने के चक्कर में उनका सारा कुछ बिक गया। वे सड़क पर आ गए थे। अपने दुखों को देखकर, वह राजा इतना चिल्लाया कि यह दुख मेरा पीछा क्यों नहीं छोड़ता है, जिस दुख को दूर करने के लिए मैंने राजपाट सब कुछ त्याग दिया। फिर भी यह दुख मेरे पीछे ही आ रहा है। मैं अब क्या करूं? अब उसके पास खाने के लिए पैसे भी नहीं थे।

इसी तरह एक रात वह भूख से तड़प रहा था। तभी उस जगह से एक राज्य की राजकुमारी गुजरी। जब उस राजकुमारी ने राजा को देखा कि राजा भूख से तड़पते हुए उसकी ओर देख रहा है, तो राजकुमारी को उस पर बहुत दया आ गई। राजकुमारी ने उस राजा को भोजन कराया और पूछा कि आप कौन है? राजा शर्म के मारे अपने बारे में कुछ भी नहीं बताया। किसी कारणवश राजकुमारी को वह राजा बहुत पसंद आया, तो उनसे कहा कि मैं आपको पसंद करती हूं। क्या आप मुझसे विवाह करेंगे? मेरे पिता एक राजा है और उनके बाद आप ही मेरे राज्य के राजा होंगे।

राजकुमारी की बात सुनकर राजा ने सोचा कि यह बहुत अच्छा समय है, मेरी गलती सुधारने के लिए। इसके बाद मेरा जीवन आसानी से कटेगा, आराम से गुजरेगा। तो राजा ने हां कह दी। दोनों का विवाह हो गया। राजकुमारी के पिता ने एक दिन राजा को बुलाया और कहा- हमने आसपास के सभी राज्य को जीतने का मन बनाया है, और हम चाहते हैं कि आप मेरे सेना का सेनापति बन कर यह कार्यभार संभाले। यह सभी राज्य जीतकर हमें तोहफे में दे।

राजकुमारी के पिता राजा की बात सुनकर वह राजा बहुत परेशान हो गया। फिर वह सोचने लगा कि अच्छा खासा बिना मेहनत के बिना कुछ करे ही जीवन चल रहा था। अब बेचारा राजा क्या करें। वह यह बात सुनकर ना भी नहीं कर सकता था और वह वहां से भाग भी नहीं सकता था। जब एक रात राजा को मौका मिला तो वह युद्ध शुरू होने से पहले ही रात को महल से निकल गया और फिर अपने साथ कुछ धन लेकर दूसरे राज्य में चला गया। फिर वहाँ गुजर बसर करने लगा।

कुछ समय के बाद वह धन भी खत्म हो गया। अब उस पर खुद को पालने की जिम्मेदारी आ गई थी। इसी तरह जब वह मजदूरी कर रहा था तो एक उसे अपने राज्य की याद आई। वह सोचने लगा कि मैं भला ठीक-ठाक था। अपने राज्य में शान से जीता था। इतनी धन-दौलत, कितने महल, इतने लोग उसके चारों तरफ घूमते रहते थे। पहली बार वह मजदूर का जीवन जी रहा है। तब उसने सोचा क्यों ना अपना राज्य वापस चला जाए। फिर गुरु से विनती कर के फिर से कहूँगा कि वह मेरा राज्य लौटा दे।

यह निर्णय करने के पश्चात वह वापस अपने राज्य पर चला गया। उसने देखा कि राज्य में चारों ओर खुशहाली है। राज्य में नए-नए निर्माण कार्य चल रहे हैं। और सब लोग अपने नए राजा की तारीफ भी कर रहे हैं। राज्य की सीमा पर एक शक्तिशाली सेना भी खड़ी है। जो अपने राज्य को बाहरी आक्रमणों से बचाती रहती है। यह सब देख कर वह अपने आप को और कोसने लगा। और सीधे उस गुरु के पास पहुंचा और कहा- गुरुदेव, इस दुनिया में मुझे न यहाँ पर सुख मिल रहा था, और ना मुझे यहाँ से भागने के बाद सुख मिला। ऐसा क्यों हुआ?

गुरुदेव उसकी बातों को सुनकर गुरु ने कहा- सुख और दुख तुम्हारे भीतर होते हैं। यह जगह बदलने से नहीं जाते, जगह तो हमेशा तुम्हारे साथ चलते रहेंगे। क्योंकि तुम नहीं बदल रहे हो। तो तुम्हारे सुख और दुख कैसे बदलेंगे? जो अपनी जिम्मेदारीयों से भागते हैं, जिम्मेदारियां उनके पीछे ही भागती है। वो उन से कभी दूर नहीं हो सकता है। वो उनसे कभी पीछा नहीं छुड़ा सकता है। और जो जिम्मेदारियों को निभाते हैं, उसे समझते हैं, उनकी जिम्मेदारीयाँ ही उनकी शक्ति बन जाती है। और तब उन्हें कहीं भागना नहीं पड़ता।

फिर गुरु ने एक चिड़िया के घोसले की तरफ इशारा करते हुए कहा- देखो वहां जो चिड़िया दिख रही है, वह घोंसला बनाती है। ताकि इसके बच्चे खुश रह सके, सुरक्षित रह सके। अगर वह चिड़िया अपनी जिम्मेदारियों से भाग जाए तो क्या उनके बच्चे सुरक्षित रह सकेंगे? और जब उनके बच्चे सुरक्षित नहीं रहेंगे, तो वो सुरक्षित कैसे रहेगा।

उनके बच्चे ही तो उनकी ताकत है। ना वहाँ घोंसला रहेगा ना उनके बच्चे रहेंगे। उस घोंसले की वजह से ही आज वह चिड़िया सुरक्षित है। उनके बच्चे सुरक्षित और यह सारी चीजें उस चिड़िया की जिम्मेदारीयों की वजह से है उनकी मेहनत की वजह से है मेरी एक बात याद रखना दुनिया में तुम कुछ भी करो यह जिम्मेदारी है। और तुम्हारा कर्म कभी तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ेगी।

लेकिन अगर तुम्हारे भीतर तुम्हारे मन में परिवर्तन नहीं होगा तो एक भिखारी जो दुख उठा रहा है, वह एक राजा भी उठा सकता है। और जरा सोचो, अगर हम भीतर से परिवर्तित हो जाए तो एक राजा जो सुख उठा सकता है, वहीं सुख एक भिखारी भी उठा सकता है। भागने से कुछ नहीं होता। बस इतना ही हो सकता है कि तुम जिंदगी भर भागते रहो, ताकि समस्या तुम्हारे पीछे भागती रहे। इसलिए समस्या का सामना करो। खुद का सामना करो। जिस दिन खुद का सामना कर लिया, खुद को पा लिया, खुद को जीत लिया तो उस दिन तुम सुखी रहोगे। तुम खुश रहोगे।

गुरु की ए बातें सुनकर राजा अच्छी तरीके से समझ चुका था। और उसने कहा कि आप सत्य कहते हैं। मैंने अपने जीवन में इतना भागते हुए भी कभी अपने आप को मुक्त महसूस नहीं किया। हमेशा मुझे लगता था यह पूरा होगा, अब पूरा होगा लेकिन पूरा करते-करते सब कुछ अधूरा ही रहा। खुशियां कभी मिली नहीं। फिर गुरु ने जब देखा कि राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया तो गुरु ने राजा को उसके राज्य लौटा दिए और फिर अपनी यात्रा में अपनी साधना मे वापस चले गए।

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि आप भी अपने सांसारिक जीवन में किसी भी मकसद को लेकर किसी भी जिम्मेदारियों को लेकर चाहे वह आपका घर परिवार नौकरी दोस्त यार इन सब चीजों से ना भागे। इन्हे समझे ।अपनी परेशानियों का अपनी समस्याओं का समाधान कीजिए। क्योंकि भागते रहने से सिर्फ और सिर्फ आपका समय नष्ट होगा। जिम्मेदारियों से नहीं छूटोगे। जब तक जिंदा हो, तब तक जिम्मेदारियां भी रहेंगी।

इसलिए इसे समझने की कोशिश करो। क्योंकि जो है समय आप भागने में लगाते हो, वही समय में आप अपने आप को बना सकते हो। अपने जीवन को सुधार सकते हो और एक महान व्यक्तित्व अपने भीतर ला सकते हो। एक महान व्यक्ति बन सकते हो। मित्रों इस कहानी से आपने क्या सीखा एक कमेंट जरूर कीजिएगा। धन्यवाद

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