Biography of Munshi Premchand | प्रेमचंद का जीवन परिचय
Biography of Munshi Premchand : सुप्रसिद्ध कथाकार प्रेमचंद का असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। उन्हें हिंदी साहित्य के जगत में ‘कलम का जादूगर’ कहा जाता है। वह हिंदी के साथ-साथ उर्दू के भी सर्वाधिक विख्यात कथाकार, उपन्यासकार और विचारक थे। उनकी शिक्षा हिंदी के साथ-साथ उर्दू और फारसी में भी हुई थी। साहित्य जगत में उनका योगदान अमूल्य है। प्रेमचंद, मुंशी प्रेमचंद और नवाब राय के नाम से विख्यात हैं। उर्दू में प्रेमचंद ‘नवाब राय’ के नाम से जाने जाते हैं। प्रेमचंद को कथाकार जगत में ‘कथा सम्राट’ की उपाधि दी गई है। उनकी रचनाएं संवेदनशील होने के साथ-साथ लोगों को सामाजिक जागरूकता भी लाती है।
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मुंशी प्रेमचंद |
जीवनी | Biography
प्रेमचंद (31 जुलाई 1880 से 8 अक्टूबर 1936) का जन्म वाराणसी जिले के लमही गांव में हुआ था, जो कि एक कायस्थ परिवार था। उनके पिताजी का नाम मुंशी अजायब राय था, और माताजी का नाम आनंदी देवी था। उनके पिताजी लमही गांव के डाकघर में मुंशी की नौकरी करते थे। इसलिए प्रेमचंद को भी मुंशी के नाम से भी जाना जाता है। प्रेमचंद की माताजी का स्वास्थ्य अक्सर ठीक नहीं रहता था।
प्रेमचंद की शुरुआती शिक्षा फारसी से हुई थी। प्रेमचंद को शुरू से ही पढ़ने लिखने में बहुत आनंद आता था। वे अपनी बात और विचार को खुलकर बोलने के लिए भी जाने जाते थे। प्रेमचंद की माता जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के कारण जब वे 7 वर्ष के थे तब उनकी माता जी का स्वर्गवास हो गया था। घर में बच्चों और घर की देखभाल करने के लिए उनके पिताजी ने दूसरी शादी कर ली। सौतेली माता का व्यवहार प्रेमचंद के प्रति कुछ ठीक नहीं था।
15 वर्ष की आयु में प्रेमचंद के पिताजी ने उनकी शादी कर गृहस्थी बसा दी थी। प्रेमचंद की पत्नी भी अक्सर घर में कलेश करती रहती थी। शादी के 1 साल बाद ही प्रेमचंद के पिताजी का भी स्वर्गवास हो गया। अपने माता-पिता के ना होने के कारण और घर का वातावरण अशांत क्लेशयुक्त तथा पैसों की कमी के कारण उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। प्रेमचंद अपने जीवन के इन्हीं संघर्षों, कठिनाइयों, दुख और सच्चाई के अनुभव को अपने कहानियों और साहित्य में जीवंत कर दिया।
प्रेमचंद की पहली शादी विफल होने के कारण उन्होंने दूसरी शादी एक बाल विधवा से कर ली जिनका नाम शिवरानी देवी था। वह एक शिक्षित महिला थी। वह प्रेमचंद के जीवन में तथा लेखन कार्य में अपना पूरा सहयोग देती थी। प्रेमचंद की तीन संताने हुई। दो बेटे और एक बेटी। बेटे का नाम श्रीपत राय, अमृत राय और बेटी का नाम कमला देवी था। प्रेमचंद दसवीं बोर्ड की परीक्षा (क्वींस कॉलेज, बनारस (अब, वाराणसी) सेंट्रल हिंदू कॉलेज, बनारस (अब, वाराणसी)) पास करने के बाद वह गांव के ही विद्यालय में शिक्षक के पद पर नौकरी कर ली। नौकरी करने के साथ-साथ वे अपनी इंटर और ग्रेजुएशन (इलाहाबाद विश्वविद्यालय) की पढ़ाई भी पूरी कर ली थी। इसके बाद वे शिक्षा विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त कर लिए गए।
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मुंशी प्रेमचंद, पत्नी शिवरानी देवी |
शिक्षा विभाग में नौकरी करने के 2 वर्षों पश्चात वे महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन के समय उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान अपने लेखन कार्य पर दे दिया। वे कई पत्रिकाओं जिनमें शामिल है मर्यादा, माधुरी इत्यादि में वे संपादक के पद पर कार्य करने लगे। उन्होंने अपने जानने वाले के सहयोग से खुद का प्रेस भी खरीदा। प्रेमचंद अपने प्रेस से पत्रिका ‘हंस’ और समाचार पत्र ‘जागरण’ भी निकाली। प्रेस के नहीं चलने और अच्छी आमदनी नहीं होने के कारण उन पर कर्ज काफी बढ़ गया था। इस कर्ज से उबरने के लिए उन्होंने एक फिल्म कंपनी के लिए फिल्मों की कहानी लेखक के रूप में काम करने के लिए मुंबई चले गए। वे 1 वर्ष भी वहाँ पूरा न कर पाए।उन्हें फिल्मों की दुनिया पसंद नहीं आई और वे वापस वाराणसी लौट गए। फिल्म नगरी से लौटने के बाद उनकी सेहत अस्वस्थ रहने लगी और एक लंबी बीमारी के बाद उनका देहांत हो गया। प्रेमचंद अपनी लिखने की प्रबल इच्छाशक्ति के कारण ही अपनी बीमारी के दिनों में भी लगातार लिखते रहें।
प्रेमचंद के साहित्य वर्णन | Literature description of Premchand
प्रेमचंद की कहानियों एवं उपन्यास में जीवन के आदर्शों और यथार्थ मुख्य विशेषताएं हैं।उन्होंने सामाजिक कुरीतियों जैसे – दहेज प्रथा, बाल-विवाह, पराधीनता, छुआछूत, बेमेल विवाह, स्त्री पुरुष की असमानताएँ, जातिवाद, लगान आदि झलकती है। प्रेमचंद आधुनिक काल के कथाकार थे। हिंदी साहित्य जगत में साहित्य के विकास में अपने दिए गए योगदान के कारण उनके समय को ‘प्रेमचंद युग’ कहा जाता है। मुंशी प्रेमचंद के अधिकांश कहानियों में निम्न तथा मध्यम वर्ग का चित्रण होता है। प्रेमचंद ने नाटक भी लिखें जैसे – संग्राम, कर्बला आदि। परंतु उन्हें नाटक के क्षेत्र में ज्यादा सफलता नहीं मिली। उन्होंने कुछ निबंध भी लिखे जैसे – हिंदी उर्दू की एकता, उपन्यास, कहानी कला, पुराना जमाना नया जमाना इत्यादि। प्रेमचंद एक सफल अनुवादक भी थे। उन्होंने बाल साहित्य भी लिखा जैसे – कुत्ते की कहानी, राम कथा। प्रेमचंद ने कई राजनीतिक कहानियां भी लिखी जैसे – कानूनी कुमार, जेल, शराब की कुआं इत्यादि जो इनके समर यात्रा में संग्रह है।
प्रेमचंद की कहानियों के संग्रह हैं जिनके नाम है –
सत्य सरोज
नवनिधि
प्रेमपूर्णिमा
प्रेमद्वादशी
प्रेम-पचीसी
प्रेम प्रतिमा
समरयात्रा
मानसरोवर
प्रेमचंद ने कुल 301 कहानियां लिखी है। प्रेमचंद का पहला कहानी संग्रह सोजेवतन है।
प्रेमचंद की कई चर्चित कहानियां है जिनमें से निम्न कुछ इस प्रकार है जो काफी चर्चित है –
पूस की रात
दो बैलों की कथा
ईदगाह
पंच परमेश्वर
बड़े घर की बेटी
नमक का दारोगा
ठाकुर का कुआं इत्यादि
प्रेमचंद के चर्चित उपन्यास –
सेवा सदन
प्रेमाश्रय
गबन
निर्मला
कायाकल्प
प्रतिज्ञा
अहंकार कर्म भूमि
गोदान
मंगलसूत्र
Biography / जीवनी |
नाम | धनपत राय |
उपनाम | · मुंशी प्रेमचंद · नवाब राय |
व्यवसाय | · साहित्यकार · कहानीकार · नाटककार |
प्रसिद्ध | भारत के सबसे बड़े उर्दू-हिंदी लेखकों में से एक |
पेशा |
पहला उपन्यास | देवस्थान रहस्या (असर-ए-माबिद); 1905 में प्रकाशित |
अंतिम उपन्यास | मंगलसूत्र (अधूरा); 1936 में प्रकाशित |
उल्लेखनीय उपन्यास | • सेवा सदन (1919 में प्रकाशित) • निर्मला (1925 में प्रकाशित) • गबन (1931 में प्रकाशित) • कर्मभूमि (1932 में प्रकाशित) • गोदान (1936 में प्रकाशित) |
पहली कहानी (प्रकाशित) | दुनिया का सबसे अनमोल रतन (1907 में उर्दू पत्रिका ज़माना में प्रकाशित) |
अंतिम कहानी (प्रकाशित) | क्रिकेट मैचिंग; उनकी मृत्यु के बाद 1938 में ज़माना में प्रकाशित हुआ |
व्यक्तिगत जीवन |
जन्म की तारीख | 31 जुलाई 1880 (शनिवार) |
जन्मस्थल | लमही, बनारस राज्य, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु तिथि | 8 अक्टूबर 1936 (गुरुवार) |
मृत्यु की जगह | वाराणसी, बनारस राज्य, ब्रिटिश भारत |
मौत का कारण | कई दिनों की बीमारी से उनकी मृत्यु हो गई |
आयु (मृत्यु के समय) | 56 वर्ष |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | वाराणसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
विद्यालय | • क्वींस कॉलेज, बनारस (अब, वाराणसी) • सेंट्रल हिंदू कॉलेज, बनारस (अब, वाराणसी) |
विश्वविद्यालय | इलाहाबाद विश्वविद्यालय |
शैक्षिक योग्यता | • उन्होंने वाराणसी के लमही के पास लालपुर के एक मदरसे में एक मौलवी से उर्दू और फ़ारसी सीखी। • उन्होंने महारानी कॉलेज से द्वितीय श्रेणी के साथ मैट्रिक की परीक्षा पास की। • उन्होंने 1919 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य, फ़ारसी और इतिहास में बीए किया। |
धर्म | हिन्दू धर्म |
जाति | कायस्थ |
परिवार |
पत्नी | पहली पत्नी: उन्होंने एक अमीर जमींदार परिवार की लड़की से शादी की, जब वह 15 साल की उम्र में 9 वीं कक्षा में पढ़ रही थी। दूसरी पत्नी: शिवरानी देवी (एक बाल विधवा) |
बच्चे | पुत्र – 2 • अमृत राय (लेखक) • श्रीपत राय बेटी- 1 • कमला देवी नोट: उनके सभी बच्चे उनकी दूसरी पत्नी से हैं। |
माता-पिता | पिता- अजायब राय (पोस्ट ऑफिस क्लर्क) माता- आनंदी देवी |
भाई-बहन | भाई- कोई नहीं बहन- सुग्गी राय (बड़ी) नोट: उनकी दो और बहनें थीं, जिनकी मृत्यु शिशुओं के रूप में हुई थी। |
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