अरुण योगीराज की जीवनी (Arun Yogiraj Biography In Hindi): आज देश भर के कला जगत में एक नाम बहुत ही चर्चित है। वह नाम है अरुण योगीराज जी का। उनके नाम की चर्चा हो भी क्यों ना? क्योंकि उन्होंने भगवान राम की मूर्ति की संरचना की है। उनके द्वारा बनाई गई मूर्ति का चयन हुआ है। श्री राम की इस मूर्ति का मंदिर के गर्भगृह में 22 जनवरी 2024 को 12:20 पर अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा पूरे हर्षोल्लास के साथ संपन्न हो गई है। इस दिन का इंतजार सनातन धर्म के पालन करने वाले लोगों का कई वर्षों से था।
अरुण योगीराज के साथ-साथ उनका पूरा परिवार राम भक्त है। वह अपने आप को बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं कि उनके द्वारा बनाई गई मूर्ति का चयन हुआ है। जब अरुण योगीराज जी को मूर्ति बनाने का दायित्व दिया गया था तो इस बात का उन्होंने पूरी तरह से गोपनीय बनाए हुए थे। उन्होंने बहुत ही संयमित ढंग से तथा पूरे आत्मसमर्पण के साथ राम जी की मूर्ति का निर्माण किया। श्री राम की मूर्ति बनाने में 6 महीने का समय लगा। इस दौरान उन्होंने एक सात्विक जीवन जीया।
मूर्ति बनाने की प्रक्रिया
भगवान राम की मूर्ति बनाने का दायित्व देश के तीन चर्चित मूर्तिकारों को दिया गया था। जिसमें राजस्थान के मूर्तिकार सत्यनारायण पांडे, बेंगलुरु के गणेश भट्ट और मैसूर के अरुण योगीराज थे। तीनों मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच (4.25 फीट) थी। तीनों मूर्तिकारों को प्रतिमा के निर्माण के लिए यह बताया गया था कि भगवान राम की प्रतिमा को देखने पर यह प्रतीत हो कि वह राजा के पुत्र और भगवान विष्णु के अवतार लगे। इस प्रतिमा की खास बात है कि भगवान राम को 5 साल के बाल स्वरूप का मनमोहक छवि होनी चाहिए।
इन तीनों मूर्तिकारों द्वारा बनाए गए भगवान राम की मूर्ति को चयन करने के लिए एक विशेष कमीटी का गठन किया गया था। जिन्हें यह तय करना था कि किस मूर्तिकार द्वारा बनाई गई प्रतिमा का चयन किया जाए। आखिरकार इस कमीटी ने मैसूर के अरुण योगी राज द्वारा बनाई गई भगवान राम की प्रतिमा का चयन कर लिया।
भगवान राम की मूर्ति का चयन करने का विशेष कारण
अरुण योगी राज द्वारा बनाई गई मूर्ति श्याम रंग की शिला से बनाई गई है। बाकी के दो मूर्तियां जिसमे एक सफेद संगमरमर और दूसरा श्याम शिला से बनाई गई है। भगवान राम की छवि का वर्णन नीलबदन श्याम रंग की गई गई है। इस शिला की विशेष बात यह है कि यह दूध के साथ कोई प्रतिक्रिया नहीं करता है। जिसकी वजह से उन पर अर्पण किए हुए दूध और अन्य सामग्रियां शुद्ध और स्वच्छ बनी रहेगी।
जन्म और पारिवारिक जीवन | Arun Yogiraj Biography In Hindi
अरुण योगी राज का जन्म सन 1983 को मैसूर, कर्नाटक के एक बहुत ही सुप्रसिद्ध मूर्तिकार, शिल्पकार के परिवार में हुआ था। वह अपने पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। उनके दादा बसवन्ना शिल्पी को मैसूर के राजा का संरक्षण प्राप्त था। जिनका उद्देश्य उनके इस अद्भुत कला को आगे आने वाले समय के लिए प्रसार हो सके। उनके पिता का नाम योगीराज था। माता जी का नाम सरस्वती तथा पत्नी का नाम विजेता योगीराज है। बड़े भाई का नाम सूर्य प्रकाश है। उनकी एक बेटी है।
अरुण योगीराज आज के समय में सबसे ज्यादा मांग वाले मूर्तिकार है। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर तीन मूर्तियां बनाई है। परंतु भगवान राम की जीवंत प्रतिमा बनाकर एक ऐतिहासिक कार्य किया है। जिसका इंतजार भारत में रहने वाले हर वह वासी जिनके मन में राम बसते हैं, उनके अंदर था। जब अरुण योगीराज का जन्म हुआ था तो उनके दादा बसवन्ना शिल्पी ने यह कहा था कि उनका यह पोता उनकी इस कला को आगे लेकर जाएगा।
उनकी कहीं इस बात को उन्होंने सच साबित कर अपने परिवार के साथ-साथ पूरे देश को गौरवान्वित किया है। जिनके द्वारा बनाई गई राम की प्रतिमा को पूरा देश दर्शन करेगा। उन्होंने अपने जन्म स्थान ही नहीं बल्कि देश के लोगों का सिर ऊंचा किया है।
शिक्षा
अरुण योगीराज को एम बी ए की डिग्री प्राप्त है। एमबीए की डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद उन्होंने एक निजी कंपनी में भी काम किया। परंतु उनके अंदर एक कलाकार का आत्मा था। जो अपने कला से ज्यादा दिन दूर रह नहीं सका। उन्होंने 2008 से पूरा ध्यान कला पर दिया। जिस कला को उनके पूर्वजों ने संभाल कर रखा था। अरुण योगीराज के कला की मांग ने उनके कद और सम्मान को कई गुना बढ़ा दिया।
करियर
अरुण योगीराज का करियर एक सफल मूर्तिकार के रूप में उभरा है। उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियां दिल से उतरी हुई होती है। 2008 से उन्होंने देश को लगातार अतुलनीय मूर्ति का निर्माण किया है। उनके द्वारा बनाई गई मूर्तियां देशभक्ति और धार्मिक भावना से अभिभूत होती है।
अरुण योगीराज द्वारा बनाई गई प्रमुख कृतियां
- इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति- अरुण योगीराज की लोकप्रियता सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा बनाने से हुई थी। इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के पीछे स्थापित 30 फीट ऊंची सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को बनाने के लिए काफी प्रशंसा मिली।वह अपनी कला के लिए पहचाने जाने लगे। इसके लिए उन्हें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा मिली। साथ ही साथ लोगों ने भी उन्हें काफी सराहा।
- केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की मूर्ति- अरुण योगीराज की कला कौशल सिर्फ महान व्यक्तियों तक ही सीमित नहीं है। उनके कौशल में आध्यात्मिकता भी झलकती है। उन्होंने केदारनाथ में आदि शंकराचार्य की 12 फीट ऊंची मूर्ति का निर्माण किया।
- चुन्चन कट्टे में 21 फीट ऊंची हनुमान की मूर्ति का निर्माण किया।
- डॉ बी० आर० अंबेडकर की 15 फीट ऊंची मूर्ति का निर्माण।
- 14.5 फीट ऊंची सफेद अमृत शीला की मूर्ति का निर्माण।
- मैसूर के राजा जयराम राजेंद्र वोडियार की मूर्ति का निर्माण।
- बृहद नंदी की प्रतिमा एक ही चट्टान से बनाई गई है।
पुरस्कार और सम्मान
- अरुण योगीराज को 2014 में केंद्र सरकार द्वारा यंग टैलेंट अवार्ड से नवाजा गया।
- शिल्पकार संघ द्वारा शिल्प कौस्तुभ अवार्ड।
- मैसूर राज परिवार ने भी उन्हें सम्मानित किया है।
- मैसूर जिले की खेल अकादमी से तथा कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने भी उन्हें सम्मानित किया है।
- 2021 में कर्नाटक सरकार का जकनाचार्य पुरस्कार मिला।
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